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एक मच्छर Ek Machhar Lyrics in Hindi from Yeshwant (1997)

Ek Machhar Lyrics in Hindi. एक मच्छर song from Yeshwant 1997. It stars Nana Patekar, Madhoo, Atul Agnihotri, Mohan Joshi, Shafi Inamdar. Singer of Ek Machhar is Nana Patekar. Lyrics are written by Sameer Music is given by Anand Shrivastav, Milind Shrivastav

Song Name : Ek Machhar
Album / Movie : Yeshwant 1997
Star Cast : Nana Patekar, Madhoo, Atul Agnihotri, Mohan Joshi, Shafi Inamdar
Singer : Nana Patekar
Music Director : Anand Shrivastav, Milind Shrivastav
Lyrics by : Sameer
Music Label : Zee Music


एक मच्छर
एक मच्छर सला आदमी को
हिजड़ा बना देता है
एक खटमल पूरी रात को अपाहिज कर देता है
एक मच्छर सला आदमी को
हिजड़ा बना देता है
मत आओ मेरे पास रहने दो मुझे अकेला
लड़ने दो मुझे अपनी लड़ाई
कभी न कभी तो झूट का
गाला घोटेंगी सचाई
लेकिन साला एक मच्छर आदमी को
हिजड़ा बना देता है
सुबह घर से निकलो
भीड़ का एक हिसा बनो
शाम को घर जाओ
दारू पीओ
और सुबह तलक फिर एक बार मर जाओ
क्योंकि आत्मा और अंदर का
इंसान मर चूका है
जीने के घिनोने
समझौते कर चुका है
साला एक मच्छर आदमी को
हिजड़ा बना देता है

ऊंची दुकान फीके पकवान
खद्दर की लंगोटी
चंडी का पीकदान सो
में से अस्सी बेईमान फिर
भी मेरा देश महान

टोपी लगाये मछर कहता है
देश के लोगो में
समता की भावना आ रही है
इसीलिए तो बड़ी मछली
छोटी को खा रही है
हमारे चुने हुए कुत्ते
हमे ही खाते है
हमारे हिस्से की रोटियां
आपस में बताते है
ह्यूमन उस गण्ड से भरी उनकी
आवाज से नंगे रस्ते कापते है
कल पैदा हुए बच्चे
एक सांस लेते हुए हप्ते है
सैतानो की नाजायज औलाद
तहालखा मचा रही है
और हम हम भगवन के
चहिते जानवर इंसान
ज़िन्दगी को गली बनाये
बैठे है क्या करे
साला एक मच्छर आदमी को
हिजड़ा बना देता है


गिरो सलो गिरो गिरो गिरो लेकिन गिरो तो
उस झरने की तरह जो पर्वत की ऊंचाई से
गिर के भी अपनी सुंदरता खोने नहीं देता
ज़मीं के तह से मिलके भी
अपने अस्तित्व को नष्ट नहीं देता
लेकिन इतना सोचने के लिए
वक़्त है किसके पास
साला एक मच्छर आदमी को
हिजड़ा बना देता है

मंदिर
मर गये लाखो इंसान
धर्म और मजहब के नाम पर
हो गए हजारो कुर्बान
जिस ने अन्याय के
विरोध में बाली को मारा
रवां को मौत के घाट उतरा
पुण्य को पाप से उभरा
मुझे उस राम की तलाश है मगर
लगता है इस युग के
राम को आजीवन वनवास है
क्योकि
आदमी को हिजड़ा बना देता है

ये मच्छर
जिसका कीचड़ो में घर है
नालियों में बसेरा है
इसकी पहचान
ये है के ये न तेरा है न मेरा है
ये मच्छर हिजड़ा बना देगा
हिजड़ा बना देगा
कभी शैतान आएंगे
मेरे दरवाजे पर दस्तक देंगे
जहाँ की तलाशी लेंगे
फिर जल उठेंगे
उस वक़्त मैं दरोगा नहीं
अपने शारीर को ढाल
हाथ को तलवार बनाऊँगा
एक न एक दिन तो
तुम मेरा हाथ चूमोगे
आज मुझे बदनाम करो नीलाम करो
नीलामी के लिए क्या है मेरे पास
बस जलते हुए आँसुओ का ैशस
मगर
तुम्हारी आखिरी बोली पर
मेरे दो साँसों के बिच का ठहराव
तुम्हे फ़ोकट में दुगा
क्योकि सलो एक मच्छर
ने तुम्हे हिजड़ा बना दिया है

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