Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: अमिताभ भट्टाचार्य
Performed By: अमित त्रिवेदी
नदी में तलब है कहीं जो अगरसमंदर कहाँ दूर है
दमक की गरज है सोने में अगर
तो जलना भी मंज़ूर है
इक उड़ान कब तलक यूँ कैद रहेगी
रोको ना छोड़ दो इसे..
इक उड़ान ही सपनों को ज़िन्दगी देगी
सपनों से जोड़ दो इसे..
पुरानी दलीलों, रस्मों को सभी
अभी से कहें अलविदा
बदलते दिनों के, तरीकों से ही
सींचे हम नया गुलसितां
इक उड़ान...